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कुत्तों के हमले क्यों बढ़ रहे हैं? कारण और उपाय | Rajasthan Dog Bite Cases

Stray dog attacks increasing in Rajasthan during breeding season and whelping season – reasons and solutions राजस्थान में डॉग बाइट केस लगातार बढ़ रहे हैं। मानसून और पिल्लों के जन्म के समय कुत्ते सबसे ज्यादा आक्रामक होते हैं। जानें इसके कारण और उपाय।

पिछले कुछ सालों में राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश में कुत्तों के हमलों (dog bite cases) की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। अखबारों और सोशल मीडिया में अक्सर ऐसी खबरें सामने आती हैं, जब किसी बच्चे, बुजुर्ग या राहगीर को आवारा कुत्तों ने काट लिया।

सवाल उठता है कि आखिर अचानक कुत्तों के हमले क्यों बढ़ रहे हैं? क्या इसके पीछे सिर्फ गुस्सा है या फिर कुछ वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारण भी हैं? इस आर्टिकल में हम जानेंगे कुत्तों के हमलों के असली कारण, एक्सपर्ट्स की राय और ऐसे उपाय जो इस समस्या को कम कर सकते हैं।

कुत्तों के हमले क्यों बढ़ते हैं?

एक्सपर्ट्स के अनुसार कुत्तों के आक्रामक व्यवहार के पीछे कई बड़े कारण हैं:

1. ब्रीडिंग सीज़न में हॉर्मोनल बदलाव

  • मानसून यानी जून-जुलाई का समय ब्रीडिंग सीज़न माना जाता है।
  • इस दौरान नर कुत्तों (male dogs) के शरीर में हॉर्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे वे अधिक आक्रामक हो जाते हैं।
  • जब वे मेटिंग नहीं कर पाते तो किसी भी इंसान या जानवर को दुश्मन मानकर हमला कर देते हैं।

2. व्हेल्पिंग सीज़न (पिल्लों का जन्म)

  • अक्टूबर-नवंबर में मादा कुत्ते बच्चे देती हैं।
  • इस दौरान वे बहुत संवेदनशील और सुरक्षा को लेकर सतर्क रहती हैं।
  • कई बार बच्चे पिल्लों के साथ खेलने लगते हैं और मादा कुत्ते इसे खतरे के रूप में लेकर हमला कर देती हैं।
    👉 यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे गाय या भैंस अपने बछड़े के पास किसी को आने नहीं देती।

3. नसबंदी (Sterilization) का अभाव

  • भारत में कुत्तों की आबादी तेजी से बढ़ रही है क्योंकि नसबंदी प्रोग्राम सही तरीके से लागू नहीं हो रहा
  • बड़े शहरों जैसे जयपुर, दिल्ली और मुंबई में यह काम कुछ हद तक चल रहा है, लेकिन छोटे कस्बों और गांवों में स्थिति खराब है।
  • ज्यादा कुत्ते → ज्यादा झुंड → ज्यादा हमले।

4. गंदगी और कचरे के ढेर

  • कुत्ते भोजन की तलाश में कचरे के ढेर के आसपास घूमते हैं।
  • जब लोग उन्हें भगाने या पत्थर मारने की कोशिश करते हैं तो वे गुस्से में आकर काट लेते हैं।
  • राजस्थान के छोटे शहरों में कचरा प्रबंधन की कमी एक बड़ी वजह है।

5. इंसानों का व्यवहार

  • कई लोग बच्चों को कुत्तों को छेड़ने, पत्थर मारने या पीछे भागने देते हैं।
  • कुत्ते इसे खतरे के रूप में लेते हैं और जवाबी हमला कर देते हैं।

राजस्थान में कुत्तों के हमलों का हाल

  • जयपुर, जोधपुर, अजमेर और कोटा जैसे शहरों में हर महीने हजारों डॉग बाइट केस रिपोर्ट किए जाते हैं।
  • जयपुर में 2024 में सिर्फ SMS हॉस्पिटल में 10,000+ डॉग बाइट केस दर्ज हुए।
  • छोटे गांवों में कई बार लोग रिपोर्ट भी नहीं करते और घरेलू इलाज कर लेते हैं, जिससे खतरा और बढ़ता है।

एक्सपर्ट्स की राय

वेटरनरी डॉक्टरों और एनिमल बिहेवियर एक्सपर्ट्स का मानना है:

  • मानसून और व्हेल्पिंग सीज़न में कुत्ते ज्यादा हमलावर होते हैं।
  • इंसानों को इस दौरान कुत्तों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
  • बच्चों को खास तौर पर सिखाना चाहिए कि वे पिल्लों के साथ न खेलें।
  • नसबंदी और कचरा प्रबंधन ही इस समस्या का स्थायी समाधान है।

कुत्तों के हमलों से बचाव के उपाय

1. Sterilization (नसबंदी)

  • अगर कुत्तों की आबादी नियंत्रित की जाए तो झुंड नहीं बनेंगे।
  • सरकार और NGOs को मिलकर यह काम तेज़ी से करना चाहिए।

2. कचरे का प्रबंधन

  • साफ-सफाई और कचरे का सही निस्तारण कुत्तों को आक्रामक होने से रोक सकता है।
  • गली-मोहल्लों में फैला कचरा उनके लिए आकर्षण का केंद्र बनता है।

3. बच्चों को जागरूक करना

  • बच्चों को सिखाएं कि वे कुत्तों को छेड़े नहीं, पत्थर न मारें और झुंड से दूरी बनाए रखें।
  • पिल्लों के पास जाने से भी रोकें।

4. डॉग बाइट पर त्वरित इलाज

  • अगर किसी को कुत्ता काट ले तो घाव को तुरंत साबुन और पानी से धोना चाहिए।
  • बिना देर किए डॉक्टर के पास जाकर Anti-Rabies Vaccine (ARV) लगवाना ज़रूरी है।
  • कई बार लोग इलाज में देर करते हैं, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है।

5. Local Authorities की जिम्मेदारी

  • नगरपालिका और पंचायतों को नसबंदी प्रोग्राम को सही तरीके से लागू करना चाहिए।
  • डॉग शेल्टर्स और Rescue टीम को मजबूत करना ज़रूरी है।

दुनिया के दूसरे देशों से सीख

  • यूरोप और अमेरिका में नसबंदी और पालतू कुत्तों के नियम कड़े हैं।
  • वहां हर पालतू कुत्ते का रजिस्ट्रेशन और वैक्सिनेशन ज़रूरी है।
  • इसी कारण वहां डॉग बाइट केस भारत की तुलना में बहुत कम हैं।

कुत्तों के हमले अचानक नहीं बढ़ते, बल्कि इसके पीछे ब्रीडिंग सीज़न, व्हेल्पिंग सीज़न, नसबंदी की कमी और कचरे की समस्या जैसे कई बड़े कारण हैं।

अगर हम सब मिलकर छोटे-छोटे उपाय करें – नसबंदी, साफ-सफाई, बच्चों को जागरूक करना और त्वरित इलाज – तो डॉग बाइट केस में काफी कमी आ सकती है।

राजस्थान हो या देश का कोई और हिस्सा, यह समय है कि हम इस समस्या को सिर्फ शिकायत करने के बजाय समाधान के साथ देखें।

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