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Supreme Court पहुँची Jacqueline, सुकेश चंद्रशेखर केस में नया मोड़

Jacqueline Fernandez Supreme Court Sukesh Chandrashekhar Case Latest News Jacqueline Fernandez ने Supreme Court का दरवाज़ा खटखटाया – सुकेश चंद्रशेखर केस में नया अध्याय शुरू।

Bollywood अभिनेत्री Jacqueline Fernandez ने Supreme Court का दरवाज़ा खटखटाया है। यह कदम उन्होंने उस ₹200–₹215 करोड़ के मनी लॉन्डरिंग केस से जुड़ी FIR/ECIR को चुनौती देने के लिए उठाया है, जिसमें आरोप है कि उन्होंने कंमन Sukesh Chandrashekhar से महँगी चीज़ें प्राप्त कीं। Enforcement Directorate (ED) का दावा है कि Jacqueline को Sukesh की अवैध गतिविधियों की जानकारी थी।

मामला कैसे शुरू हुआ

  • Sukesh Chandrashekhar एक चर्चित ठग है जिस पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के कई मामले दर्ज हैं।
  • साल 2022 में ED ने Sukesh के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग की जाँच शुरू की। इस जांच में Jacqueline Fernandez का नाम भी आया।
  • ED का आरोप है कि Jacqueline ने Sukesh से गहने, कपड़े, लग्ज़री कारें और अन्य महंगे तोहफ़े स्वीकार किए जिनकी कुल कीमत लगभग ₹7 करोड़ बताई गई है।
  • ED का कहना है कि Jacqueline को इन गिफ्ट्स के स्रोत की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने जाँच में सहयोग नहीं किया।

Jacqueline की दलीलें: Supreme Court में पेश हुआ पक्ष

Supreme Court में सुनवाई के दौरान अभिनेत्री Jacqueline Fernandez और उनके वकीलों ने अपना पक्ष रखते हुए साफ किया कि उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस पूरे मामले में नाहक घसीटा जा रहा है और वास्तविकता यह है कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है।

सबसे पहले, Jacqueline ने यह दावा किया कि उन्हें Sukesh Chandrashekhar के अपराधी इतिहास की कोई जानकारी नहीं थी। उनके अनुसार, वह सिर्फ एक सामान्य जान-पहचान के आधार पर उनसे मिली थीं, और यह मान लेना कि वह उनके अवैध कार्यों में शामिल थीं, पूरी तरह ग़लत है।

वहीं, उनके वकीलों ने अदालत के सामने यह तर्क भी रखा कि यदि Sukesh ने कई लोगों को पैसे या तोहफ़े दिए, तो इसका यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि हर व्यक्ति मनी लॉन्डरिंग की साज़िश में शामिल है। Jacqueline का मामला बिल्कुल अलग है और उन्हें बिना ठोस आधार के अपराधी मानना अन्याय होगा।

इसके अलावा, Jacqueline की ओर से यह भी कहा गया कि Enforcement Directorate (ED) के पास उनके खिलाफ कोई ऐसा ठोस सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो कि उन्होंने जानबूझकर अवैध धन या महंगे तोहफ़े स्वीकार किए। केवल गिफ्ट्स मिलने की बात से किसी व्यक्ति को मनी लॉन्डरिंग में शामिल नहीं ठहराया जा सकता।

सबसे अहम दलील यह दी गई कि बिना पर्याप्त सबूतों के उन्हें आरोपी बनाना उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। Jacqueline का कहना है कि भारत का संविधान हर नागरिक को निष्पक्ष सुनवाई और न्याय का अधिकार देता है। ऐसे में उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई न्याय और क़ानून के सिद्धांतों के विरुद्ध है।

ED की दलीलें: Jacqueline पर गंभीर आरोप बरकरार

Enforcement Directorate (ED) ने Supreme Court और इससे पहले Delhi High Court में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि Jacqueline Fernandez को इस मामले से अलग नहीं किया जा सकता। एजेंसी का आरोप है कि Jacqueline ने जांच के दौरान कई अहम तथ्यों को छुपाने की कोशिश की और सबूतों के साथ छेड़छाड़ भी की।

ED ने अदालत को यह जानकारी दी कि Jacqueline ने जांच के दौरान अपने मोबाइल से महत्वपूर्ण डेटा डिलीट कर दिया। एजेंसी का कहना है कि यह कदम उन्होंने जानबूझकर उठाया, ताकि Sukesh Chandrashekhar से हुई बातचीत और अन्य डिजिटल सबूत सामने न आ सकें।

इसके साथ ही, ED ने यह भी तर्क दिया कि Jacqueline ने Sukesh से महंगे गिफ्ट्स और अन्य सुविधाएँ स्वीकार कीं। एजेंसी का मानना है कि उन्हें Sukesh की आपराधिक गतिविधियों का पता था, इसके बावजूद उन्होंने उन लाभों को लेने से परहेज़ नहीं किया। ED का यह भी कहना है कि इस तरह के मामलों में आरोपी के ज्ञान और स्वीकृति का निर्धारण ट्रायल कोर्ट में होना चाहिए। FIR या ECIR को शुरुआती स्तर पर खारिज करना न तो न्यायसंगत है और न ही कानून के अनुरूप। एजेंसी ने स्पष्ट किया कि सबूतों की जांच और आरोपी की भूमिका का अंतिम मूल्यांकन ट्रायल कोर्ट में ही संभव है।

Delhi High Court का फैसला: Jacqueline को ट्रायल कोर्ट का सामना करना होगा

3 जुलाई 2025 को Delhi High Court ने Jacqueline Fernandez को बड़ी राहत देने से इंकार कर दिया। अभिनेत्री की उस याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने Sukesh Chandrashekhar मनी लॉन्ड्रिंग केस में दर्ज FIR/ECIR और ED की चार्जशीट को रद्द करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि अभी यह तय करना जल्दबाजी होगी कि Jacqueline दोषी हैं या निर्दोष। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह अधिकार केवल ट्रायल कोर्ट का है, जो सबूतों की पूरी तरह से जांच के बाद ही निष्कर्ष पर पहुंचेगा। कोर्ट ने Enforcement Directorate (ED) की चार्जशीट और दर्ज ECIR को पूरी तरह से वैध माना और Jacqueline की सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि हर आरोपी को अपने खिलाफ मौजूद सबूतों का सामना करने और उन्हें चुनौती देने का अवसर मिलना चाहिए।

Supreme Court में वर्तमान स्थिति

इस मामले की सुनवाई अब Supreme Court में चल रही है। यहाँ Jacqueline Fernandez की याचिका पर Justice Dipankar Datta और Justice Augustine George Masih की बेंच विचार कर रही है। सुनवाई की तारीख 22 सितंबर 2025 तय की गई है। अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई अंतिम निर्णय नहीं सुनाया है। अदालत का कहना है कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ही आगे की प्रक्रिया तय होगी। इस वजह से फिलहाल Jacqueline की कानूनी लड़ाई जारी है और सभी की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हुई हैं।

Jacqueline Fernandez का Supreme Court पहुँचना इस केस में बड़ा मोड़ है। अब नज़रें Supreme Court पर टिकी हैं कि वह High Court के आदेश को सही ठहराएगा या Jacqueline को राहत देगा। इस केस का असर न केवल Jacqueline के करियर पर पड़ेगा, बल्कि Bollywood की छवि और मनी लॉन्डरिंग से जुड़े अन्य मामलों पर भी कड़ा संदेश जाएगा।

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