हाल ही में Vrindavan के Gauri Gopal Ashram में हुए प्रवचन के दौरान प्रसिद्ध कथावाचक Aniruddhacharya Maharaj का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस बयान ने देशभर में बड़ी बहस छेड़ दी है। खासकर महिलाओं और युवाओं के बीच यह मुद्दा गरमा गया है। बयान को sexist और gender biased कहा जा रहा है। कई महिला संगठनों ने खुलकर विरोध किया है और कुछ जगहों पर उनके पोस्टर भी फूंके गए।
यह पूरा विवाद सिर्फ एक बयान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह समाज की सोच, महिलाओं की आज़ादी और धर्मगुरुओं की जिम्मेदारी पर गहरी चर्चा का कारण बन गया है।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
Aniruddhacharya ने अपने प्रवचन में कहा कि —
- “अगर कोई लड़की 25 साल की हो गई और अब तक शादी नहीं हुई तो वह कई बार गलत रास्ते पर चली जाती है।”
- उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसी लड़कियां “live-in relationship” में रहती हैं या “एक से ज्यादा रिश्ते” बना लेती हैं।
उनका यह वीडियो एडिट होकर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। देखते ही देखते Twitter (अब X), Facebook और Instagram पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।
महिलाओं का गुस्सा
यह बयान सुनते ही देशभर की महिलाओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
- Varanasi, Mathura और Delhi में महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया।
- कई जगह Aniruddhacharya के पोस्टर जलाए गए और नारेबाजी हुई।
- महिला संगठनों ने कहा कि यह बयान महिलाओं की गरिमा पर सीधा हमला है।
एक महिला नेता ने कहा:
“आज के समय में जब महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, तो ऐसे बयानों से समाज को पीछे ले जाने की कोशिश की जा रही है।”
कानूनी मोर्चा
Mathura Bar Association ने भी इस बयान का विरोध किया और कानूनी कार्रवाई की मांग की।
- Bar Association ने Police Chief को ज्ञापन सौंपा।
- महिला संगठनों ने FIR दर्ज करने की बात कही।
इससे साफ है कि मामला अब सिर्फ समाजिक विरोध तक नहीं बल्कि कानूनी स्तर तक पहुंच चुका है।
सोशल मीडिया रिएक्शन
Social media पर #Aniruddhacharya, #RespectWomen, #StopSexism जैसे hashtags trend करने लगे।
- कुछ लोगों ने कहा कि धर्मगुरुओं को modern society समझकर ही बोलना चाहिए।
- बहुत से लोगों ने इसे character assassination बताया।
- YouTubers और Influencers ने भी इस पर वीडियो बनाए, जिससे विवाद और ज्यादा फैला।
एक user ने लिखा:
“Mahila ko 25 saal ke baad judge karna किसी भी Guru के लिए सही नहीं है।”
अनिरुद्धाचार्य महाराज का जवाब
भारी विरोध के बाद Aniruddhacharya Maharaj ने सफाई दी।
- उन्होंने कहा कि उनका वीडियो edit करके वायरल किया गया है।
- असली सन्दर्भ अलग था।
- उन्होंने माफी भी मांगी और कहा: “यह बात सभी महिलाओं के लिए नहीं थी, सिर्फ कुछ हालात पर आधारित थी।”
लेकिन विरोध करने वालों ने उनकी माफी को स्वीकार नहीं किया। उनका कहना है कि धर्मगुरु के शब्दों का असर करोड़ों लोगों पर पड़ता है, इसलिए उन्हें और जिम्मेदारी से बोलना चाहिए।

विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें
देश के कई हिस्सों में महिलाएं सड़कों पर उतरीं।
- पोस्टर फूंके गए।
- बैनर उठाकर नारेबाजी की गई।
- सोशल मीडिया पर Protest की तस्वीरें वायरल हुईं।
समाज में उठे बड़े सवाल
इस विवाद ने कई अहम सवाल खड़े कर दिए:
- क्या धर्मगुरुओं को आधुनिक रिश्तों पर टिप्पणी करनी चाहिए?
- महिलाओं की शादी की उम्र को लेकर इतनी judgemental thinking क्यों?
- क्या भारत जैसे देश में individual freedom को अभी भी स्वीकार नहीं किया जा रहा?
इतिहास से सीख
भारत में हमेशा से महिलाओं की भूमिका पर बहस रही है।
- पुरानी परंपराओं में महिला को ghar तक सीमित किया गया।
- लेकिन आज की महिला IAS officer, Pilot, Scientist, Entrepreneur सब बन रही है।
- ऐसे में इस तरह के बयान महिलाओं की मेहनत पर सवाल उठाते हैं।
Media ने इस पूरे विवाद को खूब कवर किया।
- National channels ने Debate shows किए।
- Hindi और English newspapers ने Front page पर खबर छापी।
- Digital media platforms ने इसे viral trend में बदल दिया।
कुछ International portals ने भी इस खबर को उठाया।
उन्होंने लिखा कि भारत जैसे emerging nation में महिलाओं पर ऐसे बयान negative image बनाते हैं।
Aniruddhacharya Maharaj का यह विवाद एक बड़े सामाजिक मुद्दे को सामने लाता है।
यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि 21वीं सदी में भी महिलाएं stereotypes से क्यों जूझ रही हैं?
यह सिर्फ Aniruddhacharya vs Women का मामला नहीं है।
यह मामला है freedom, equality और respect का।
अगर समाज को आगे बढ़ना है तो हमें इन पुरानी सोचों से बाहर निकलना होगा।
धर्म का असली काम है सद्भाव और समानता का संदेश देना, न कि किसी को नीचा दिखाना।